Friday, July 27, 2012

क्या है हिग्स बोसन...?

माना जाता है कि भगवान कण-कण में बसते हैं.... और उन्हीं कणों से मिलकर ब्रह्मांड की उत्पत्ति  हुई है......  शायद इसलिए, सबसे सूक्ष्म भौतिक कण में सबसे विराट आध्यात्मिक शक्ति की खोज हो रही है.... यही मान्यता है जिसके कारण, वैज्ञानिक हिग्स बोसन को ब्रह्मकण या ईश कण अथवा गॉड पार्टिकल कह रहे हैं.... क्या है हिग्स बोसन......? पार्टिकल फिजिक्स के अनुसार हिग्स बोसन वो कण हैं जो सब-एटॉमिक यानी परमाणविक जगत को मास यानी द्रव्यमान देते हैं..... यानी, अगर ये कण न हों, तो विज्ञान 'द्रव्य' की व्याख्या नहीं कर सकता..... नियम यह है कि अगर यह द्रव्यमान नहीं होगा तो किसी भी चीज के परमाणु उसके भीतर घूमते रहेंगे और आपस में जुड़ेंगे ही नहीं.... हिग्स बोसन के अनुसार, हर खाली जगह में एक फील्ड है.... साइंटिस्ट इसे हीग्स फिल्ड कहते हैं.... इसी फील्ड में हिग्स बोसन किसी अणु को भार प्रदान करते हैं..... लेकिन.... हिग्स बोसन की अहमियत क्या है....? फिलहाल हिग्स बोसन से भविष्य का कयास ही लगाया जा रहा है... लेकिन, अगर ये सच है तो इससे, इंटरनेट की स्पीड कई गुना बढ़ जाएगी.... जिससे संचार क्रांति की दुनिया में कई महत्वपूर्ण  बदलाव आएंगे...., नैनो तकनीक में क्रांति आएगी.... जिससे एमआरआई और पीईटी स्कैन में हमें मदद मिलेगी.... वहीं, अन्तरिक्ष प्रोद्योगिकी  को और अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकेगा... संभव है कि हिग्स बोसन की मदद से भविष्य में अन्य ग्रहों के गूढ़ रहस्य से भी पर्दा उठ सके.....
1920 के दशक में भारतीय वैज्ञानिक सत्येन्द्र नाथ बोस ने अल्बर्ट आइंस्टीन के साथ इस तरह के भौतिक कणों की अवधारणा बनाई थी ..... उसके बाद 1964 में, स्कॉटलैंड के पहाड़ों में घूमते हुए ब्रिटिश भौतिक शास्त्री पीटर हिग्स ने एक ऐसे फील्ड की कल्पना की जो भारी कणों से युक्त हो..... फिर, करीब आठ साल पहले 2004 में ब्रिटेन स्थित बुकमेकर लैडब्रुक्स ने पांच भावी आविष्कारों पर अटकलें लगाईं... मसलन, मंगल के सबसे बड़े चन्द्रमा यानी टाइटन पर जीवन की उपस्थिति, गुरुत्वाकर्षण तरंगों का अस्तित्व, अंतरिक्ष से आती कॉस्मिक किरणों के स्रोत की जानकारी, परमाणु संलयन का व्यावसायिक उपयोग और हिग्स बोसन का रहस्य...... इनमें से चार पर अभी कुछ भी कहना शेष है... लेकिन जिनेवा स्थित "द यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च" यानी सर्न प्रयोगशाला ने हिग्स बोसन के रहस्य से पर्दा उठा दिया है.... ब्रह्मांड के सबसे सूक्ष्म पार्टिकल की खोज में, "सर्न" ने फ़्रांस और स्विट्ज़रलैंड की सीमा पर प्रोटोन की टकराहट के लिए 27 किमी लम्बी, छल्लेदार सुरंग बनाई..... तकरीबन 500 अरब रुपये की लागत से हुए इस महाप्रयोग में 9300 चुम्बकों को 271.3 डिग्री सेल्सियस के तापमान में, प्रति सेकेण्ड 4 करोड़ प्रोटोनों से टकराया गया.... प्रोटोनों की टकराहट से पैदा हुए आंकड़ों में से 20 फ़ीसदी विश्लेषण सर्न ने किया.... और बाकी के 80 प्रतिशत आंकड़ों का विश्लेषण दुनिया के अन्य संस्थानों में भेजे गए.... और आखिरकार, हमें उस रहस्य का राज़ मिल गया.... जिसमें ब्रह्मांड का सच छुपा है..... लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि गॉड पार्टिकल यानी ईश कण या ब्रह्म कण की खोज से मानवता को क्या मिलने जा रहा है..... ?????

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