शहर से सड़क तक....
सफ़र से मंजिल तक ......
आसमान जैसा बड़ा....
या पैसे जैसा छोटा......
कौन हूं मैं.....??????
भीड़ में चलता एक आम आदमी.... या, बुलंदियों पर बैठा एक खाश आदमी....
माचिस की तीली जैसी कोशिश
या फिर
हारा हुआ एक शख्श
इस दौड़ती-भागती दुनिया में एक अपने हिस्से की ज़िन्दगी जीता एक रिश्ता
या सिर्फ एक किस्मत ???
कौन हूं मैं.... ??
रेत से खेलता एक बच्चा
या
मकसद से लड़ता एक खिलाडी....
दिल के बहाने हँसता एक शायर
या
दुनिया के बहाने हँसने का नाटक करता एक कलाकार....
सच को समझता एक इंसान
या
मात्र, झूठ में जीता एक नागरिक
कौन हूं मैं?
दर्पण से कल्पना को समझता हुआ...
या
किताबों से सफलता को नापता हुआ
कौन हूं मैं????
चाहरदीवारी में मजबूर
या
मोहल्ले का हीरो
एक सवाल
या
एक जज
विपक्ष
या
शासक
कौन हूं मैं....??????
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