Friday, July 27, 2012

ख़त्म होने लगी हाथियों के 'कॉरिडोर'

जैसे जैसे समाज का विकास होता गया.... मनुष्यों ने खुद को जीवित रखने के लिए प्रकृति और जानवरों का खूब दोहन किया..... अपने स्वार्थ के लिए इंसानों की यही भूल..... आज उन्हीं के सामने मौत बनकर खड़ी है..... लेकिन अफ़सोस यह है कि इनसे बचने के लिए इंसान फिर से वही भूल कर रहे हैं.... जो वो सदियों से करते आए हैं..... वनों की अंधाधुंध कटाई और जंगलों पर इंसान का कब्ज़ा हाथियों के लिए मुसीबत बन गई..... हाथियों के 'कॉरिडोर' में खेती होने लगी...... और वक़्त के साथ हाथियों को हत्यारा कहा जाने लगा.... लेकिन ज़रा सोचिये पहली गलती किसकी है..... इंसानों की या हाथियों की ? एक वक़्त था जब एशियाई हाथी भारत के विशाल जंगलों में बेरोक-टोक घूमा करते थे...... लेकिन वनों की अंधाधुंध कटाई और जंगलों में इंसानों की घुसपैठ ने हाथियों के निवास को लगातार संकुचित कर दिया..... पिछले साल, देश भर में करीब 5,872.18 हेक्टेयर जंगल खत्म कर दिए गए और इस साल भी जंगल पर हमला जारी है........ जिससे हाथी उत्तराखंड, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, झारखण्ड और ओडिशा के जंगलों में बेबस हो गए हैं...... दरअसल, 1999 तक हाथियों के विचरण करने का इलाका यानी 'कॉरिडोर' सुरक्षित था.... जहाँ से हाथियों के झुंड दूसरे राज्यों के जंगलों में जाया करते थे और फिर उसी रास्ते वापस अपने जंगल में आ जाते थे...... लेकिन, आबादी बढ़ी..... तो जंगल और ज्यादा कटे.... और परिणाम यह हुआ कि हाथियों के 'कॉरिडोर' में भी खेती होने लगी........  यही कारण है कि हाथियों के झुंड जब उस रास्ते से गुजरते हैं तो उन खेतों और रिहायशों की सहमत आ जाती है..... लोग, एक गाँव से हाथियों के झुंड को भगाते हैं... और झुंड दूसरे गाँव में घुस जाता है..... अलबत्ता, हाथी एक गाँव से दूसरे गाँव तक सिर्फ भगाए जा रहे हैं.....  वहीं, दिन भर कड़ी मेहनत, रात भर मशाल जला कर रतजगा और हर समय खौफ़, शायद यही लोगों की नियति बन गई है..... हाथी और इंसान की कहानी में आज अपना-अपना पेट पालने के लिए  दोनों एक-दूसरे के विरोधी हो गए हैं...... पहले इंसानों ने हैवानियत का परिचय देते हुए हाथियों को परेशान किया..... उनका और उनके बाल बच्चों का शिकार किया... फ़िर अब हाथी अगर, हमला कर रहे हैं तो इंसान परेशान हो रहे हैं... अब सवाल यह है कि आखिर गलती किसकी है.....? हाथी जाएं तो जाएं कहां...?  हाथियों के रहने और विचरण की जगह घटती जा रही है ..... जंगल और पानी के स्रोत सिकुड़ते जा रहे हैं.... तो जाहिर है कि भोजन और पानी की तलाश में हाथी, आबादी वाले क्षेत्रों में आएंगे .......... वन्य जीव विशेषज्ञों ने जंगली हाथियों को दूर रखने के लिए तार लगाने, मिर्ची बम प्रणाली स्थापित करने, करंट वाली बाड़ों का इस्तेमाल करने जैसे अस्थायी उपायों पर काम ज़रूर किया है.... लेकिन सरकार और वन्य जीव विशेषज्ञ हाथियों को बचाने और पानी तथा जंगल पर उन्हें अधिकार वापस दिलाने की कोई भी योजना नहीं बना पाए हैं.....

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